Dakshin Bharat
Dakshin Bharat Yatra
27 दिनों की दक्षिण भारत यात्रा
दक्षिण भारत यात्रा, यह 27 दिनों की यात्रा है, इस में हम एक धाम और 7 ज्योतिर्लिंग की यात्रा करेंगे। इस में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश राज्य की मुलाकात करेंगे। दक्षिण भारत की यात्रा एक अद्भुत अनुभव है जिसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक धरोहरों का अन्वेषण किया जा सकता है। यह यात्रा लगभग 25 दिनों की होगी, जिसमें महाराष्ट्र को दोनों तरफ—आगे की यात्रा और वापसी में कवर किया जाएगा।
दिन 1: राजकोट से प्रस्थान कर के अहमदाबाद होकर सापूतारा पहुंचेंगे ।
इस यात्रा में हम 5 राज्यों की यात्रा करेंगे, आप अलग से एक एक राज्य की यात्रा भी कर सकते है, हमारे पास इस के लिए भी यात्रा पैकेज उपलब्ध है। गुजरात से ही हम यह यात्रा शुरू करने वाले है तो गुजरात के ज्यादा स्थलों की मुलाकात नहीं लेंगे। गुजरात में केवल सापूतारा देखेंगे। राजकोट से प्रस्थान कर के अहमदाबाद होकर सापूतारा पहुंचेंगे । सापूतारा में सनसेट पॉइंट और रोप वे देखेंगे ।
दिन 2: सापुतारा से नासिक
नाशिक में पंचवटी, मुक्ति धाम और सुरपन्खा मंदिर के दर्शन करेंगे।
नाशिक से 28 किमी की दूरी पर त्र्यंबक है वहां पहुंचकर त्र्म्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे ।
दिन 3 : नासिक से भीमाशंकर
भीमाशंकर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे ।
प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर स्थित सह्याद्रि नामक पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगभग 120 मील दूर है। यह मंदिर भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 3,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का शिवलिंग काफी मोटा है। इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इसी मंदिर के पास से भीमा नामक एक नदी भी बहती है जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि जो भक्त श्रद्वा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद 12 ज्योतिर्लिगों का नाम जापते हुए इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर होते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
दिन 4 : भीमाशंकर से पंढ़रपुर
पंढरपुर – यह श्री विट्ठल और श्री रुक्मिणी का पवित्र स्थान है। इसे भारत का दक्षिणी काशी और महाराष्ट्र राज्य का कुलदैवत भी कहा जाता है। यह सोलापुर जिला मुख्यालय से सड़क मार्ग से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पंढरपुर रेलवे स्टेशन मिरज-कुर्दुवाड़ी-लातूर रेलवे ट्रैक पर पड़ता है। श्री विट्ठल के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार 1195 ई. में किया गया था। यहाँ भारतीय देवताओं के कई अन्य मंदिर और कई संतों की मठ (धर्मशालाएँ) हैं। चंद्रभागा (भीमा) नदी शहर से होकर बहती है। पूरे महाराष्ट्र और आसपास के राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त हर साल आषाढ़ी और कार्तिकी एकादशी मनाने के लिए पंढरपुर में इकट्ठा होते हैं। यहाँ हर रोज़ भक्तों की भीड़ लगी रहती है। पंढरपुर में विट्ठलनाथ दर्शन, पुंडरिक दर्शन, चन्द्र भागा नदी स्नान करेंगे.
दिन 5 : पंढ़रपुर से पंपा सरोवर
पम्पा सरोवर में शिव मंदिर दर्शन और तुंग भद्रा स्नान करेंगे ।
पम्पा सरोवर (Pampa Sarovar) भारत के कर्नाटक राज्य के कोप्पल ज़िले में स्थित एक झील है। तुंगभद्रा नदी से दक्षिण में स्थित यह झील हिन्दू धर्म में पवित्र मानी जाती है।पम्पा सरोवर हिन्दू मान्यता के पांच पवित्र झीलों में से एक है। सामूहिक रूप से “पंच-सरोवर” कहलाने वाली यह झीलें मानसरोवर, बिन्दु सरोवर, नारायण सरोवर, पुष्कर सरोवर और पम्पा सरोवर हैं। इनका भागवत पुराण में भी उल्लेख किया गया है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में पम्पा सरोवर को भगवान शिव की भक्ति दिखाने का स्थल भी बताया गया है, जहाँ भगवान शिव के तपस्या करते थे। यह सरोवर में से उन सरोवरों में से है जिनका उल्लेख हिन्दू महाकाव्य मिलता है। एक उल्लेख यह भी मिलता है कि रामायण में भगवान राम की एक भक्तिनी शबरी उनके आने का इंतजार इसी सरोवर पर कर रही थी।
दिन 6 : किष्किन्धा नगरी
यहां अंजनी पहाड़, अंजलि मंदिर और हनुमान जन्म स्थान के दर्शन करेंगे ।
रुशिमुख पर्वत : सुग्रीव मंदिर , गुफा दर्शन करेंगे ।
किसकिन्धा नगरी : सीता महेल , विष्णु मंदिर दर्शन करेंगे ।
दिन 6 : किष्किन्धा नगरी से मैसूर
मैसूर में वृन्दावन गार्डन , मैसूर पैलेस , चामुंडा हिल, सिल्क मार्केट देखेंगे ।
मैसूर (Mysore) भारत के कर्नाटक राज्य का एक महानगर है। यह कर्नाटक का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और प्रदेश की राजधानी बैगलुरू से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दक्षिण में केरल की सीमा पर स्थित है।
Mysore Palace – मैसूर पेलेस
यह महल मैसूर में आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र है। मिर्जा रोड पर स्थित यह महल भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है। इसमें मैसूर राज्य के वुडेयार महाराज रहते थे। जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया। 1912 में बने इस महल का नक्शा ब्रिटिश आर्किटैक्ट हेनरी इर्विन ने बनाया था। कल्याण मंडप की कांच से बनी छत, दीवारों पर लगी तस्वीरें और स्वर्णिम सिंहासन इस महल की खासियत है। बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है। इस महल की देखरख अब पुरातत्व विभाग करता है।
दिन 7 : मैसूर से श्री रंग पट्टनम
श्री रंग पट्टनम पहुंचकर विष्णु मंदिर , टीपू सुल्तान समाधी, गोल गुम्बज देखेंगे ।
श्री रंग पट्टनम (Srirangapatnam) भारत के कर्नाटक राज्य के मांडया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह मैसूर के पास स्थित है और कावेरी नदी की शाखाओं के बीच भौगोलिक रूप से एक द्वीप पर बसा हुआ है। यह मैसूर शहर से मात्र 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पूरे शहर पर कावेरी नदी छाई हुई है जिससे यह एक टापू बनता है। जहाँ मुख्य नदी टापू की पूर्वी दिशा में बह्ती है, इस नदी की पश्चिम वाहिनी पश्चिम की ओर बहती है। इस शहर को बंगलोर और मैसूर से ट्रेन से पहुँचा जा सकता है। इसे सड़क यातायात से भी जोड़ दिया गया है।
दिन 8 से 10 : श्री रंग पट्टनम से मदुरई
मदुरई (Madurai) या मदुरै भारत के तमिल नाडु राज्य के मदुरई ज़िले में स्थित एक नगर है और उस ज़िले का मुख्यालय भी है। यह भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है। इस शहर को अपने प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। इस शहर को कई अन्य नामों से बुलाते हैं, जैसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस। यह वैगई नदी के किनारे स्थित है। लगभग २५०० वर्ष पुराना यह स्थान तमिल नाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण मीनाक्षी मंदिर है जिसके ऊंचे गोपुरम और दुर्लभ मूर्तिशिल्प श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इस कारणं इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं।
दिन 11 , 12, 13 : मदुरई से कन्या कुमारी :
कन्याकुमारी भारत के तमिल नाडु राज्य के कन्याकुमारी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह भारत की मुख्यभूमि का दक्षिणतम नगर है। यहाँ से दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर है। इनके साथ सटा हुआ तट 71.5 किमी तक विस्तारित है। समुद्र के साथ तिरुवल्लुवर मूर्ति और विवेकानन्द स्मारक शिला खड़े हैं। कन्याकुमारी एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थस्थल भी है।
यहां त्रिवेणी संगम स्नान और विवेकानंद रोक मेमोरियल देखेंगे ।
विवेकानन्द स्मारक शिला (Vivekananda Rock Memorial) भारत के तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित एक स्मारक है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। इसे भूमि-तट से लगभग ५०० मीटर अन्दर समुद्र में स्थित दो चट्टानों में से एक के उपर निर्मित किया गया है। समुद्र तट से पचास फुट ऊंचाई पर निर्मित यह भव्य और विशाल प्रस्तर कृति विश्व के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण आकर्षण केन्द्र बनकर उभर आई है। इसे बनाने के लिए लगभग ७३ हजार विशाल प्रस्तर खण्डों को समुद्र तट पर स्थित कार्यशाला में कलाकृतियों से सज्जित करके समुद्री मार्ग से शिला पर पहुंचाया गया।
दिन 14 : कन्याकुमारी से रामेश्वरम यात्रा
रामेश्वरम पहुंचकर आराम करेंगे।
दिन 15, 16 : रामेश्वरम
रामेश्वरम (Rameswaram), जिसे तमिल लहजे में “इरोमेस्वरम” भी कहा जाता है, भारत के तमिल नाडु राज्य के रामनाथपुरम ज़िले में एक तीर्थ नगर है, जो हिन्दू धर्म के पवित्रतम चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है। यह रामेश्वरम द्वीप (पाम्बन द्वीप) पर स्थित है, जो भारत की मुख्यभूमि से पाम्बन जलसन्धि द्वारा अलग है और श्रीलंका के मन्नार द्वीप से 40 किमी दूर है। भौगोलिक रूप से यह मन्नार की खाड़ी पर स्थित है। चेन्नई और मदुरई से रेल इसे पाम्बन पुल द्वारा मुख्यभूमि से जोड़ती है।
रामायण की घटनाओं में रामेश्वरम की बड़ी भूमिका है। यहाँ श्रीराम ने भारत से लंका तक का राम सेतु निर्माण करा था, ताकि सीता की सहायता के लिए रावण के विरुद्ध आक्रमण करा जा सके। यहाँ श्रीराम ने शिव की उपासना करी थी और आज नार के केन्द्र में खड़ा शिव मन्दिर उशी घटनाक्रम से समबन्धित है। नगर और मन्दिर दोनों शिव व विष्णु भक्तों के लिए श्रद्धा-केन्द्र हैं।
ज्योतिर्लिंग के दर्शन , समुद्र स्नान, अबुलकलाम का घर, राम सेतु दर्शन करेंगे ।
दिन 17, 18 : रामेश्वरम से श्री रंगम यात्रा
श्री रंगम में कावेरी स्नान, रंगनाथ मंदिर, रामानुजाचार्य मंदिर दर्शन करेंगे ।
श्री रंगम में रंगनाथस्वामी मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो रंगनाथ ( विष्णु का एक रूप ) को समर्पित है और यह भारत के तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में स्थित है। यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित है और भगवान विष्णु को समर्पित १०८ दिव्य देशमों में सबसे प्रमुख होने का अनूठा गौरव प्राप्त है। श्रीरंगम मंदिर भारत का सबसे बड़ा मंदिर परिसर है और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक परिसरों में से एक है। इनमें से कुछ संरचनाओं को जीवित मंदिर के रूप में सदियों से पुनर्निर्मित, विस्तारित और पुनर्निर्माण किया गया है। नवीनतम जोड़ बाहरी टॉवर है जो लगभग 73 मीटर (240 फीट) लंबा है, यह 1987 में पूरा हुआ था। श्रीरंगम मंदिर को अक्सर दुनिया में सबसे बड़े कार्यशील हिंदू मंदिर के रूप में सूचीबद्ध किया जाता है, अभी भी अंगकोर वाट सबसे बड़ा मौजूदा मंदिर है।
दिन 19 : श्री रंगम से तंजौर
शिव मंदिर दर्शन, बुल टेम्पल दर्शन करेंगे ।
शिव कांची : शिव मंदिर दर्शन, एक रात्रि का विराम करेंगे ।
विष्णु कांची : विष्णु मंदिर दर्शन करेंगे ।
तंजावूर (Thanjavur) या तंजौर (Tanjore) भारत के तमिल नाडु राज्य के पूर्वी भाग में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह तंजावूर ज़िले का मुख्यालय भी है। कावेरी के उपजाऊ डेल्टा क्षेत्र में होने के कारण इसे दक्षिण में “चावल का कटोरा” के नाम से भी जाना जाता हैं। 850 ई. में चोल वंश ने मुथरयार प्रमुखों को पराजित करके तंजावर पर अधिकार किया और इसे अपने राज्य की राजधानी बनाया। चोल वंश ने 400 वर्ष से भी अधिक समय तक तमिलनाडु पर राज किया। इस दौरान तंजावुर ने बहुत उन्नति की। इसके बाद नायक और मराठों ने यहां शासन किया। वे कला और संस्कृति के प्रशंसक थे। कला के प्रति उनका लगाव को उनके द्वारा बनवाई गई उत्कृष्ट इमारतों से साफ झलकता है। मुख्य आकर्षण बृहदीश्वर मंदिर है। बृहदीश्वर (या वृहदीश्वर) मन्दिर या राजराजेश्वरम् तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इसे पेरुवुटैयार कोविल भी कहते हैं। यह मंदिर पूरी तरह से ग्रेनाइट निर्मित है। विश्व में यह अपनी तरह का पहला और एकमात्र मंदिर है जो कि ग्रेनाइट का बना हुआ है। यह अपनी भव्यता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों को आकर्षित करता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
दिन 20 : तंजौर से वेल्लोर
वेल्लूर (Vellore) भारत के तमिल नाडु राज्य के वेल्लूर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। तमिलनाडु में 1 अगस्त 2009 को नगर परिषद को नगर निगम का ताज पहनाया गया। वेल्लूर राज्य का नौवां कॉर्पोरशन है। इस सबसे बड़े कॉर्पोरशन का उद्घाटन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री के.करूणानिधि के हाथों किया गया। इसे दक्षिण भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक माना जाता है। यह शहर वेल्लूर किले के पास स्थित पलार नदी के किनारे बसा है। यह शहर चेन्नई और बैंगलोर तथा मंदिरों के शहर थिरुवन्नमलाई एवं तिरुपति के बीच स्थित है।ब्रिटिश शासन के खिलाफ आज़ादी की पहली लड़ाई यहीं लड़ी गई थी।
वेल्लोर में श्री अम्मा श्रीलक्ष्मी स्वर्ण मंदिर देखने लायक है। 100 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक परिदृश्य में स्थित इस मंदिर को 1.5 टन शुद्ध सोने से बनाया गया है। मंदिर को बनाने में सैकड़ों शिल्पकारों और कारीगरों को छह साल लगे। मंदिर की परिकल्पना और डिजाइन श्री नारायणी अम्मा द्वारा की गई थी।
दिन 21 : वेल्लोर से तिरुपति
तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत के आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमला में स्थित है । यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे मानव जाति को कलियुग की परीक्षाओं और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस स्थान का नाम कलियुग वैकुंठ भी पड़ा है और यहां के देवता को कलियुग प्रत्यक्ष दैवम कहा जाता है। इस मंदिर को तिरुमाला मंदिर, तिरुपती मंदिर और तिरूपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। वेंकटेश्वर को कई अन्य नामों से जाना जाता है बालाजी, गोविंदा और श्रीनिवास। मंदिर तिरुमला तिरुपती देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है।
दिन 22 : तिरुपति से श्री शैलम – मलिकार्जुन – पूरा दिन सफर करेंगे
दिन 23 : श्री शैलम
श्री शैलम पहुंचकर श्री मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे।
श्रीशैलम (श्री भ्रामराम्बिका मल्लिकार्जुन मंदिर नाम से भी जाना जाता है) नामक ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के पश्चिमी भाग में कुर्नूल जिले के नल्लामल्ला जंगलों के मध्य श्री सैलम पहाडी पर स्थित है। यहाँ शिव की आराधना मल्लिकार्जुन नाम से की जाती है। मंदिर का गर्भगृह बहुत छोटा है और एक समय में अधिक लोग नही जा सकते। इस कारण यहाँ दर्शन के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी होती है। स्कंद पुराण में श्री शैल काण्ड नाम का अध्याय है। इसमें उपरोक्त मंदिर का वर्णन है। इससे इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। तमिल संतों ने भी प्राचीन काल से ही इसकी स्तुति गायी है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तब उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी। श्री शैलम का सन्दर्भ प्राचीन हिन्दू पुराणों और ग्रंथ महाभारत में भी आता है।
दिन 24 : श्री शैलम से हैदराबाद यात्रा
चार मीनार , बिरला मंदिर , हुसैन सागर लेक, बालाजी दर्शन करेंगे ।
दिन 25, 26 : हैदराबाद से औंधा नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
औंधा नागनाथ (नागेश्वरम्) भारत के महाराष्ट्र राज्य के हिंगोली जिले में एक मंदिर है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। मंदिर 669.60 वर्ग मीटर (7200 वर्ग फीट) के क्षेत्र में फैला हुआ है और 18.29 मीटर (60 फीट) ऊंचा है। मंदिर परिसर का कुल क्षेत्रफल लगभग 60,000 वर्ग फीट है। धार्मिक महत्व के अलावा, मंदिर अपने सुंदर नक्काशी के लिए देखने लायक है। वर्तमान मंदिर का आधार हेमाडपंती वास्तुकला में है , हालांकि इसके ऊपरी हिस्से की बाद की अवधि में मरम्मत की गई थी और यह उस शैली में है जो पेशवा के शासनकाल के दौरान प्रचलित थी।
ज्योतिर्लिंग ज़मीन से नीचे स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए दो गहरी सीढ़ियाँ हैं। औंधा नागनाथ परिसर में 12 ज्योतिर्लिंगों के लिए 12 छोटे मंदिर भी हैं। परिसर में 108 मंदिर और 68 तीर्थस्थल भी हैं, जो सभी भगवान शिव से संबंधित हैं।
महाराष्ट्र में दौलताबाद से 11 किलोमीटर दूर घृष्णेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। कुछ लोग इसे घुश्मेश्वर के नाम से भी पुकारते हैं। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ इस मंदिर के समीप ही स्थित हैं। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। शहर से दूर स्थित यह मंदिर सादगी से परिपूर्ण है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है।
इलोरा : बौद्ध गुफाओं की मुलाकात लेंगे ।
एलोरा या एल्लोरा (मूल नाम वेरुल) एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में छत्रपती संभाजीनगर, महाराष्ट्र से 30 कि॰मि॰ की दूरी पर स्थित है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। अपनी स्मारक गुफाओं के लिए प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।
एलोरा भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है, यहाँ 34 “गुफ़ाएँ” हैं जो असल में एक ऊर्ध्वाधर खड़ी चरणाद्रि पर्वत का एक फ़लक है। इसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन गुफा मन्दिर बने हैं। ये पाँचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे। यहाँ 12 बौद्ध गुफाएँ (1-12), 17 हिन्दू गुफाएँ (13-29) और 5 जैन गुफाएँ (30-34) हैं। ये सभी आस-पास बनीं हैं और अपने निर्माण काल की धार्मिक सौहार्द को दर्शाती हैं।
दिन 27 : शिरडी
शिरडी भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले की राहाता तालुका में स्थित एक नगर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 160 पर अहमदनगर से लगभग 83 किमी और कोपरगाँव से लगभग 15 किमी दूर है। यह स्थान सांई बाबा के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ उनका एक विशाल सांई बाबा समाधी मन्दिर है। इसलिए इसे सांईनगर शिरडी (Sainagar Shirdi) भी कहते हैं।
शिरडी में साईं बाबा के दर्शन करने के बाद वापिस अहमदाबाद – राजकोट जाने के लिए प्रस्थान करेंगे ।