Chhattisgadh
Chhattisgadh Tour
10 दिनों की छत्तीसगढ़ यात्रा
छत्तीसगढ़ मध्य भारत में स्थित एक राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, आदिवासी परंपराओं और आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह राज्य घने जंगलों, झरनों, गुफाओं और प्राचीन काल से चले आ रहे समृद्ध इतिहास से संपन्न है। यह अपने प्राचीन मंदिरों और समृद्ध कला और शिल्प के लिए भी जाना जाता है।
आदिवासी संस्कृति: छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण आदिवासी आबादी है, जिसमें जीवंत परंपराएँ, त्यौहार और कला रूप हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य: राज्य में कई झरने, गुफाएँ और वन्यजीव अभयारण्य हैं, जो इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं।
मंदिर और ऐतिहासिक स्थल: जटिल वास्तुकला वाले प्राचीन मंदिर, विशेष रूप से भोरमदेव और सिरपुर जैसे स्थानों में, राज्य के समृद्ध इतिहास को उजागर करते हैं।
हस्तशिल्प: यह राज्य अपने अनोखे हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें बेल मेटल वर्क, टेराकोटा और बांस शिल्प शामिल हैं।
वन्यजीव अभयारण्य: छत्तीसगढ़ के जंगल बाघ, तेंदुए और दुर्लभ पक्षी प्रजातियों सहित कई तरह के वन्यजीवों का घर हैं।
दिन 1: रायपुर में आगमन
अहमदाबाद से पर्यटक अपने खर्चे पर ट्रेन या हवाई मार्ग से निर्धारित तिथि पर रायपुर रेलवे स्टेशन या रायपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे ।
महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय जाएँ।
पारंपरिक हस्तशिल्प के लिए स्थानीय बाज़ारों का पता लगाएँ।
शाम को नंदन वन चिड़ियाघर और सफारी देखने जाएं और वापिसआ कर आराम करें।
दिन 2: सिरपुर
सिरपुर महानदी नदी के तट पर स्थित है और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग तीन घंटे की दूरी पर है। यह एक छोटा सा शहर है, लेकिन सभी प्रकार के यात्रियों के लिए यहाँ बहुत कुछ है । सिरपुर एक प्राचीन शहर है जिसका ऐतिहासिक महत्व है। यह बौद्ध धर्म का एक प्रमुख केंद्र था और इसमें 7वीं शताब्दी के कई मंदिर और मठ हैं।
जरूर देखें: लक्ष्मण मंदिर, गंधेश्वर मंदिर और प्राचीन बौद्ध मठ।सुबह सुबह सिरपुर की ओर ड्राइव करें। लक्ष्मण मंदिर और अन्य प्राचीन खंडहरों की यात्रा करें।
बौद्ध मठों का पता लगाएं और शहर के इतिहास के बारे में जानें।
दिन 3: भोरमदेव
“छत्तीसगढ़ के खजुराहो” के नाम से मशहूर, भोरमदेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर परिसर है। मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।
जरूर देखें: मुख्य मंदिर, पास का मंडावा महल और आसपास का जंगली परिदृश्य।
भोरमदेव मंदिर की ओर ड्राइव करें।
मंदिर परिसर और पास के मंडावा महल की खोज करें।
आसपास के जंगलों की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लें।
दिन 4: कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान
जगदलपुर के पास स्थित, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान भारत के सबसे खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है, जो अपनी जैव विविधता, चूना पत्थर की गुफाओं और झरनों के लिए जाना जाता है।
जरूर देखें: तीरथगढ़ झरना, कुटुमसर गुफाएँ और विविध वनस्पतियाँ और जीव।सुबह सुबह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की ओर ड्राइव करें।
तीरथ गढ़ झरना और कुटुम सर गुफाओं की यात्रा करें।
पार्क की समृद्ध जैव विविधता का पता लगाएं और जगदल पुर में रात भर रुकें।
दिन 5: चित्रकोट झरना
अक्सर “भारत का नियाग्रा” के रूप में जाना जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है, जो इंद्रावती नदी पर स्थित है। इसका घोड़े की नाल जैसा आकार और आसपास की हरीभरी हरियाली इसे एक प्रमुख आकर्षण बनाती है।
जरूर देखें: मानसून के मौसम में अपने पूरे चरम पर जलप्रपात, आसपास की गुफाएँ और प्लंज पूल में नाव की सवारी।
चित्रकोट झरना, “भारत का नायग्रा” की ओर ड्राइव करें।
झरने, आसपास की गुफाओं और नाव की सवारी का आनंद लेते हुए दिन बिताएं।
झरने के पास रात भर रुकें।
दिन 6: बस्तर
बस्तर एक आदिवासी क्षेत्र है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, कला और त्यौहारों के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र दशहरा त्यौहार के लिए भी प्रसिद्ध है, जिसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है।
जरूर देखें: बस्तर पैलेस, दंतेश्वरी मंदिर और स्थानीय आदिवासी त्यौहारों में भागीदारी।बस्तर की यात्रा करें और आदिवासी संस्कृति का अन्वेषण करें।
बस्तर पैलेस और दंतेश्वरी मंदिर जाएँ।
स्थानीय त्यौहारों में हिस्सा लें या पारंपरिक शिल्पकला का अन्वेषण करें।
दिन 7: बरनवा पारा वन्यजीव अभ्यारण्य
महासमुंद जिले में स्थित, बरनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य अपने विविध वन्यजीवों के लिए जाना जाता है, जिसमें तेंदुए, सुस्त भालू और कई पक्षी प्रजातियाँ शामिल हैं।
जरूर देखें: जंगल सफारी, पक्षी देखना और समृद्ध वनस्पतियों और जीवों की खोज करना।बरनवा पारा वन्यजीव अभ्यारण्य की यात्रा करें।
जंगल सफारी और पक्षी दर्शन का आनंद लें।
किसी नजदीकी रिसॉर्ट या इको लॉज में रात भर रुकें।
दिन 8: राजिम
“छत्तीसगढ़ के प्रयाग” के रूप में जाने जाने वाले राजिम की ओर ड्राइव करें। राजिम में तीन नदियों के संगम पर बना लक्ष्मण झूला देखें ।
राजीव लोचन मंदिर और तीन नदियों के संगम पर जाएँ।
शहर का भ्रमण करें और शाम को रायपुर वापस आएँ।
दिन 9: प्रस्थान
प्रस्थान के लिए रायपुर रेल या निकटतम हवाई अड्डे पर वापस जाएँ। यहां से सब अपने अपने घर के लिए प्रस्थान करेंगे और यात्रा की समाप्ति होगी।