Char Dham Yatra
Char Dham Yatra
10 दिनों की चार धाम यात्रा
चार धाम यात्रा, हिंदू धर्म की एक प्रमुख तीर्थयात्रा है। इसमें उत्तराखंड के चार पवित्र धामों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ – की यात्रा शामिल है। यह यात्रा गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित है. मान्यता है कि चार धाम की यात्रा करने से जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चार धाम यात्रा से जुड़ी कुछ खास बातें:
साल 2024 में चार धाम यात्रा 10 मई से शुरू हो रही है. इस दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अभिजीत मुहूर्त में खुलेंगे. केदारनाथ धाम के कपाट भी 10 मई को ही खुलेंगे. बद्रीनाथ धाम के कपाट 12 मई को खोले जाएंगे।
चार धाम यात्रा का पारंपरिक क्रम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और अंत में बद्रीनाथ है। यमुनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल है. यहां यमुना मंदिर है, जिसे 19वीं शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया ने बनवाया था । चार धाम यात्रा की पंजीकरण प्रक्रिया अप्रैल में शुरू हो जाती है। चार धाम यात्रा को पारंपरिक रूप से 12 दिनों में पूरा किया जाता है, लेकिन अब इसे 5 दिनों में भी पूरा किया जा सकता है।
हेलीकॉप्टर से चारधाम यात्रा
प्राचीन और पवित्र स्थल भारत के विभिन्न कोनों में स्थित हैं और पूरी दूरी पैदल तय करने में महीनों लग सकते हैं, लेकिन एक आसान तरीका भी है! हेलीकॉप्टर से हमारी चारधाम यात्रा के साथ आसमान की सैर करें। आप समय और ऊर्जा बचाते हुए अद्भुत दृश्य का आनंद ले सकते हैं, वह भी किफ़ायती कीमत पर। यह उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प है जो इस पवित्र यात्रा का अनुभव विलासिता और आराम से करना चाहते हैं।
यदि आप चारधाम यात्रा पर जाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन आपके पास सीमित समय है, तो हेलीकॉप्टर की सवारी परिवहन का सबसे बढ़िया तरीका है। दिल्ली से बद्रीनाथ की यात्रा में बस से 4 दिन और कार से 2 दिन लग सकते हैं। हालाँकि, दिल्ली से हेलीकॉप्टर लेने से आप बद्रीनाथ में सिर्फ़ एक घंटे से ज़्यादा समय में पहुँच जाएँगे!
दिन 1: अहमदाबाद से हरिद्वार की यात्रा
Departure from Ahmedabad to Haridwar
अहमदाबाद से हरिद्वार के लिए ट्रेन या फ्लाइट लें। हरिद्वार पहुँचने के बाद होटल में चेकइन करें। शाम को हर की पौड़ी पर गंगा आरती का अनुभव लें।
मुख्य आकर्षण: हर की पौड़ी (Har Ki Pauri): यह हरिद्वार का प्रमुख घाट है, जहाँ गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्त्व है। यहाँ की गंगा आरती अत्यधिक प्रसिद्ध है। हर की पौड़ी या ब्रह्मकुण्ड पवित्र नगरी हरिद्वार का मुख्य घाट है। ये माना गया है कि यही वह स्थान है जहाँ से गंगा नदी पहाड़ों को छोड़ मैदानी क्षेत्रों की दिशा पकड़ती है। इस स्थान पर नदी में पापों को धो डालने की शक्ति है और यहाँ एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न इस बात का समर्थन करते हैं। यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है जहाँ से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है। हर शाम सूर्यास्त के समय साधु संन्यासी गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता जल पूरी तरह से रोशनी में नहाया होता है और याजक अनुष्ठानों में संलग्न होते हैं।
दिन 2: हरिद्वार से यमुनोत्री (Haridwar to Yamunotri)
हरिद्वार से यमुनोत्री के लिए यात्रा करें। यह यात्रा लगभग 89 घंटे की होती है। जांकी चट्टी पहुँचें और यहाँ से पैदल या खच्चर के द्वारा यमुनोत्री मंदिर की यात्रा करें।
मुख्य आकर्षण: यमुनोत्री मंदिर (Yamnotri Temple): यह मंदिर यमुना नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है और यहाँ का पानी गर्म है। यहाँ से चार धाम यात्रा की शुरुआत होती है।
यमुनोत्री मंदिर एक हिंदू मंदिर है, जो भारत के उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 3,291 मीटर (10,797 फीट) की ऊंचाई पर गढ़वाल हिमालय के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। यह मुख्य जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से सिर्फ 129 किमी दूर है। मंदिर देवी यमुना को समर्पित है, और इसमें देवी की काले संगमरमर की मूर्ति है। यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड के मुख्य शहरों – उत्तरकाशी, ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून से एक पूरे दिन की यात्रा है।
वास्तविक मंदिर केवल हनुमान चट्टी शहर से 13 किलोमीटर (8.1 मील) ट्रेक और जानकी चट्टी से 6 किलोमीटर (3.7 मील) पैदल चलकर पहुँचा जा सकता है; घोड़े या पालकी किराए पर उपलब्ध हैं। हनुमान चट्टी से यमुनोत्री तक दाएँ किनारे वाला मार्ग मार्कंडेय तीर्थ से होकर जाता है, जहाँ ऋषि मार्कंडेय ने मार्कंडेय पुराण लिखा था। दूसरा मार्ग, जो नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है- खरसाली से होकर जाता है, जहाँ से यमुनोत्री पाँच या छह घंटे की चढ़ाई पर है।
दिन 3: यमुनोत्री से उत्तरकाशी (Yamnotri to Uttarkashi)
यमुनोत्री से उत्तरकाशी के लिए यात्रा करें। उत्तरकाशी एक धार्मिक नगर है और यहाँ कई प्राचीन मंदिर और आश्रम स्थित हैं।
मुख्य आकर्षण: विश्वनाथ मंदिर (Vishwanath Temple): यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ की धार्मिकता और शांति विशेष अनुभव देने वाली होती है। उत्तरकाशी (Uttarkashi) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित एक नगर और हिन्दू तीर्थस्थल है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और हिमालय में भागीरथी नदी के किनारे 1158 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है।
उत्तरकाशी राष्ट्रीय राजमार्ग 34 के मार्ग द्वारा ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं।
दिन 4: उत्तरकाशी से गंगोत्री (Uttarkashi to Gangotri)
उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए यात्रा करें। यह यात्रा लगभग 45 घंटे की होती है। गंगोत्री पहुँचने के बाद गंगा नदी के पवित्र जल का अनुभव करें।
मुख्य आकर्षण: गंगोत्री मंदिर (Gangotri Temple): यह मंदिर गंगा नदी के उद्गम स्थल के निकट स्थित है और यहाँ की शीतल जलधारा अत्यंत पवित्र मानी जाती है। गौमुख (Gaumukh): गंगोत्री से लगभग 18 किमी दूर, गौमुख गंगा नदी का वास्तविक उद्गम स्थल है।
दिन 5: गंगोत्री से गुप्तकाशी (Gangotri to Guptkashi)
गंगोत्री से गुप्तकाशी के लिए यात्रा करें। यह स्थान केदारनाथ के मार्ग पर स्थित है और यहाँ कई धार्मिक स्थल हैं।
मुख्य आकर्षण: गुप्तकाशी (Guptkashi): यहाँ के प्रमुख मंदिरों में केदारनाथ से पहले भगवान शिव की पूजा होती है। इस स्थान का धार्मिक महत्त्व अत्यधिक है। गुप्तकाशी का काशी की तरह काफी महत्व है प्राचीन विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारेश्वर मंदिर और मणिकर्णिक कुंड, जहां गंगा और यमुना के दो नदियों को मिलना माना जाता है, गुप्तकाशी में मुख्य आकर्षण हैं।
दिन 6: गुप्तकाशी से केदारनाथ (Guptkashi to Kedarnath)
गुप्तकाशी से सोनप्रयाग के लिए यात्रा करें। यहाँ से गौरीकुंड तक पहुँचें और फिर 16 किमी की पैदल यात्रा केदारनाथ के लिए करें। हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध होती है।
मुख्य आकर्षण: केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple): यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर हिमालय की ऊँचाई पर स्थित है और इसकी यात्रा अत्यधिक कठिन मानी जाती है।
केदारनाथ की बड़ी महिमा है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।
इस मन्दिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षों से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थ रहा है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये १२-१३वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाया हुआ है जो १०७६-९९ काल के थे।[4] एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर ८वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाये गये पहले के मंदिर की बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढ़ियों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है।
दिन 7: केदारनाथ से बद्रीनाथ (Kedarnath to Badrinath)
केदारनाथ से वापस गुप्तकाशी पहुँचें और फिर बद्रीनाथ के लिए यात्रा करें। यह यात्रा 89 घंटे की होती है।
मुख्य आकर्षण: बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple): यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदू धर्म के चार धामों में सबसे प्रमुख माना जाता है। मंदिर के पास स्थित तप्तकुंड के गर्म जल में स्नान करना विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है।
बद्रीनाथ या बद्रीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित एक हिंदू मंदिर है। यह भारत के उत्तराखंड के बद्रीनाथ शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देसमों में से एक है – वैष्णवों के लिए पवित्र मंदिर – जिन्हें बद्रीनाथ के रूप में पूजा जाता है। हिमालयी क्षेत्र में चरम मौसम की स्थिति के कारण यह हर साल छह महीने (अप्रैल के अंत और नवंबर की शुरुआत के बीच) के लिए खुला रहता है। मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे चमोली जिले में गढ़वाल पहाड़ी ट्रैक पर स्थित है । यह भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले तीर्थस्थलों में से एक है, जिसने 2022 में केवल 2 महीनों में 2.8 मिलियन (28 लाख ) यात्राएं दर्ज की हैं। यह चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है।
दिन 8: बद्रीनाथ और मनाली होते हुए हरिद्वार
Badrinath and via Manali to Haridwar
बद्रीनाथ से सुबह स्नान और दर्शन के बाद मनाली के लिए यात्रा करें। मनाली के रास्ते में हिमालय की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लें और शाम तक हरिद्वार पहुँचें।
दिन 9: हरिद्वार से अहमदाबाद वापसी (Return to Ahmedabad from Haridwar)
प्रस्थान के लिए रेल या निकटतम हवाई अड्डे पर वापस जाएँ। यहां से सब अपने अपने घर के लिए प्रस्थान करेंगे । हरिद्वार से अहमदाबाद के लिए यात्रा करें और इस धार्मिक यात्रा को समाप्त करें।
यह यात्रा कार्यक्रम चार धाम यात्रा के प्रमुख धार्मिक स्थलों को कवर करता है और इन स्थलों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों का भी अनुभव प्रदान करता है। इस यात्रा से आप आध्यात्मिकता और धार्मिकता का गहन अनुभव प्राप्त करेंगे।